भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदमखोर-2 / शुभा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:18, 31 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभा |संग्रह=}} <Poem> आदमखोर उठा लेता है छह साल की बच...)
आदमखोर उठा लेता है
छह साल की बच्ची
लहूलुहान कर देता है उसे
अपना लिंग पोंछता है
और घर पहुँच जाता है
मुँह हाथ धोता है और
खाना खाता है
रहता है बिल्कुल शरीफ़ आदमी की तरह
शरीफ़ आदमियों को भी लगता है
बिल्कुल शरीफ़ आदमी की तरह।