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सतीत्व / तस्लीमा नसरीन
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काया कोई छुए तो हो जाऊंगी नष्ट
हृदय छूने पर नहीं ?
हृदय देह में बसा रहता है निरंतर
काया के सोपान को पार किए बिना
जो अंतर गेह में करता है प्रवेश
वह कोई और ही होगा
पर जानती हूँ
वो मनुष्य नहीं होगा
अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य