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साँवरी सुघर नारी महा सुकुमारी सोहै / देव

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साँवरी सुघर नारी महा सुकुमारी सोहै ,
मोहै मनमोहन को मदन तरँगनी ।
अनगने गुननि के गरब गहीर मति ,
निपुन सगीँत गीत सरस प्रसँगनी ।
परम प्रवीन बीन मधुर बजावै गावै ,
नेह उपजावै यो रिझावै पति सगँनी ।
चातुर सुभाय बँक भौँहनि दिखाइ देव ,
विँगनि अलिँगन बनावति तिलँगनी ।


देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।