भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आई बरसाने ते बुलाय वृषभानु सुता / देव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:17, 3 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देव }} <poem> आई बरसाने ते बुलाय वृषभानु सुता , निरखि ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आई बरसाने ते बुलाय वृषभानु सुता ,
निरखि प्रभान प्रभा भानु की अथै गई ।
चक चकवान के चकाये चक चोटन सोँ,
चौँकत चकोर चकचौँधा सी चकै गई ।
देव नन्दनन्दन के नैनन अनन्दमयी ,
नन्दजू के मँदिरन चँदमयी छै गई ।
कँजन कलिनमयी कुँजन नलिनमयी ,
गोकुल की गलिन अलिनमयी कै गई ।


देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।