अभी-अभी हुलसकर सोई हैं इन साँसों में स्वरलहरियां
अभी-अभी इन होठों में खिली है एक ताज़ा कविता
अभी-अभी
उगा है इन आंखों में
नीला चाँद
अभी-अभी मिला है मेरी उम्मीदों को एक मज़बूत दरख़्त
अभी-अभी हुलसकर सोई हैं इन साँसों में स्वरलहरियां
अभी-अभी इन होठों में खिली है एक ताज़ा कविता
अभी-अभी
उगा है इन आंखों में
नीला चाँद
अभी-अभी मिला है मेरी उम्मीदों को एक मज़बूत दरख़्त