भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
समेट ली किरण कठिन दिनेश ने / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
Tusharmj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:42, 9 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन }} समेट ली किरण कठिन दिनेश ने] स...)
समेट ली किरण कठिन दिनेश ने]
सभा बादल दिया तिमिर-प्रवेश ने,
सिंगार कर लिया गगन प्रदेश ने;
---नटी निशीथ
का पुलक
उठा हिया!
समीर कह चला कि प्यार का प्रहरे,
मिली भुजा-भुजा, मिले अधर-अधर,
प्रणय प्रसून गया सेज पर गया बिखर;
निशा सभीत
ने कहा कि क्या किया!
अशंक शुक्र पूर्व में पुवा हया,
क्षितिज अरुण प्रकाश से छुआ हुआ,
समीर है कि सृष्टिकार की दुआ;
निशा बिनीत
ने कहा कि
शुक्रिया!