छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे ,
नथुनियाँ, न झुलनी, न मुँदरी जुड़ी , 
आयो लै के कनैठी अंगुरिया को छल्ला !
इहै छोट छल्ला पे ढपली बजइबे !
 
कितै दिन नचइबे ,गबइबे ,खिजइबे 
कसर सब निकार लेई ,फिन मोर लल्ला 
कबहुँ गोरिया तोर पल्ला न छोड़ब ,
चिपक रहिबे बनिके तोरा पुछल्ला ! 
करइ ले अपुन मनमानी कुछू दिन
उहै छोट लल्ला तुही का नचइबे !
 
भये साँझ आवै दुहू हाथ खाली 
जिलेबी के दोना न चाटन के पत्ता ,
मेला में सैकल से जावत इकल्ला , 
सनीमा के नामै दिखावे सिंगट्टा !
हमहूँ चली जाब देउर के संगै 
उहै ऊँच चक्कर पे झूला झुलइबे !
 
काहे मुँहै तू लगावत सबन का 
लगावत हैं चक्कर ऊ लरिका निठल्ला !
उहाँ गाँव माँ घूँघटा काढ रहितिउ ,
इहाँ तू दिखावत सबै मूड़ खुल्ला !
न केहू का हम ई घरै माँ घुसै देब ,
चपड़-चूँ करे तौन मइके पठइबे !
 
लरिकन को किरकट दुआरे मचत ,
मोर मुँगरी का रोजै बनावत है बल्ला ,
इहाँ देउरन की न कौनो कमी 
मोय भौजी बुलावत ई सारा मोहल्ला 
! 
छप्पन छूरी इन छुकरियन में छुट्टा 
तुहै छोड़, कहि देत, मइके न जइबे ! 
 
मचावत है काहे से बेबात हल्ला ,
अगिल बेर तोहका चुनरिया बनइबे ,
पड़ी जौन लौंडे-लपाड़न के चक्कर 
दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे !
छिंगुनियाके छल्ला पे ...!