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सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस / आत्मा

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सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस ,
चौदहोँ भुवन भरी दीपति विशाला है ।
तेरहू के पति बस द्वादश दिनेश तपैँ ,
ग्यारहू महेश जपैँ भूले ज्ञानमाला हैँ ।
दसहू दिशानन में कहेँ कवि आतमजू ,
नवनिधि आठो सिधि जाके द्वारपाला हैं ।
सातो सुर छैयो राग पांचो गान चारों ताल ,
तीनो ग्राम दोनोंविधि जानै एक बाला हैं ।


आत्मा का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।