बारी होके जाने बंदना। पठीयो कछु नारी है॥ध्रु०॥
बुटीसे बुडी भई साची तो भारी हो बिचारी रही।
तुम घर जावो बदना मेरो प्यारा भारी हो॥१॥
नारी होके द्वारकामें बाजे बासुरी। बासु मुस वारी हो।
वोही खूब लाला वणीर जोए। मारी सारी हो॥२॥
पान जैसी पिरी भई पर गोपवर रही।
मेरा गिरिधर पिया प्रभुजी मीरा वारी डारी हो॥३॥