भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शाम बन्सीवाला कन्हैया / मीराबाई

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:01, 19 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> शाम बन्सीवाला कन्हैया। मैं ना बोल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शाम बन्सीवाला कन्हैया। मैं ना बोलूं तुजसेरे॥ध्रु०॥
घर मेरा दूर घगरी मोरी भारी। पतली कमर लचकायरे॥१॥
सास नंनदके लाजसे मरत हूं। हमसे करत बलजोरी॥२॥
मीरा तुमसो बिगरी। चरणकमलकी उपासीरे॥३॥