भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दरद जाने कोय हेली / मीराबाई
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:13, 22 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> दरद जाने कोय हेली। मैं दरद दिवानी॥...)
दरद जाने कोय हेली। मैं दरद दिवानी॥ध्रु०॥
घायलकी गत घायल ज्याने। लागी हिये॥१॥
सुली उपर सेजहमारी। किसबीद रहीये सोय॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वदे सामलीया होय॥३॥