Last modified on 22 जून 2009, at 19:15

बन्सी तूं कवन गुमान भरी / मीराबाई

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:15, 22 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> बन्सी तूं कवन गुमान भरी॥ध्रु०॥ आपन...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बन्सी तूं कवन गुमान भरी॥ध्रु०॥
आपने तनपर छेदपरंये बालाते बिछरी॥१॥
जात पात हूं तोरी मय जानूं तूं बनकी लकरी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर राधासे झगरी बन्सी॥३॥