Last modified on 22 जून 2009, at 22:12

उनींदे की लोरी (कविता) / गिरधर राठी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:12, 22 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गिरधर राठी }} <poem> साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ
चींटियां बसा लें घर-बार और सो जाएँ
गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ