गंगा जी को औत (बाजूबन्द गीत) / गढ़वाली
(मूल रचयिता - नरेन्द्र सिंह नेगी)
गंगा जी की औत
तराजू मां तोली लेणा, कैकी माया भौत
तराजू मां तोली लेणा, कैकी माया भौत
झंगोरा की घांण, झंगोरा की घांण
जैकी माया घनाघोरा, आंख्यूं मा पछ्याण
जैकी माया घनाघोरा, आंख्यूं मा पछ्याण
जैकी माया घनाघोरा हो.....
सड़का की घूमा, सड़का की घूमा
सड़का की घूमा, सड़का की घूमा
सदानि नि रैंदी सुवा, जवानी की धूमा
सदानि नि रैंदी सुवा, जवानी की धूमा
सदानि नि रैंदी सुवा हो......
भिरा लीगे भिराक, भिरा लीगे भिराक
भिरा लीगे भिराक, भिरा लीगे भिराक
तरुणी उमर सुवा, बथौं सी हराक
तरुणी उमर सुवा, बथौं सी हराक
तरुणी उमर सुवा हो.........
घुघुती को घोल,घुघुती को घोल
घुघुती को घोल,घुघुती को घोल
मनखि माटू ह्वे जांद, रई जांदा बोल
मनखि माटू ह्वे जांद, रई जांदा बोल
मनखि माटू ह्वे.......
गौड़ी कू मखन, गौड़ी कू मखन
गौड़ी कू मखन, गौड़ी कू मखन
दुनिया न मरि जाण, क्या ल्हिजाण यखन
दुनिया न मरि जाण, क्या ल्हिजाण यखन
दुनिया न मरि जाण.....
--Poojan Negi २०:२०, २२ जून २००९ (UTC)