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हमको गुलाबी दुपट्टा / राजस्थानी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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हमें तो लग जायेगी नजरिया रे
चाहे राजा मारो चाहे पुचकारो
हम पे ना आवे थारो पनिया
हमारी पतळी सी कमरिया रे
चाहे राजा मारा चाहे पुचकारो
हम पे ना होवे थारो गोबर
हमार सड़ जायेगी उंगलियां रे
चाहे राजा मारो चाहे पुचकारो
हम पे ना हौवे थारी रोटी
हमारी जळ जायेगी उंगलियां रे
चाहे राजा मारो चाहे पुचकारो
हम पे ना हौवे थारो बिस्तेर
हमारी छोटी सी उमरिया रे