किसलिए हुए हैं बेचैन
न डर है मौत का
न ख़ौफ़ ख़ुदा का है
किसलिए हुए हैं बेचैन
फ़ाक़ा अजूबा नहीं, डर नहीं
दोस्तियाँ सहारा हैं देतीं कुछ छीनतीं
किसलिए हुए हैं बेचैन
सुख हैं गिने-चुने
ज़िन्दगी के गुर
हैं गिने-चुने
किसलिए हुए हैं बेचैन
किसलिए हुए हैं बेचैन
न डर है मौत का
न ख़ौफ़ ख़ुदा का है
किसलिए हुए हैं बेचैन
फ़ाक़ा अजूबा नहीं, डर नहीं
दोस्तियाँ सहारा हैं देतीं कुछ छीनतीं
किसलिए हुए हैं बेचैन
सुख हैं गिने-चुने
ज़िन्दगी के गुर
हैं गिने-चुने
किसलिए हुए हैं बेचैन