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अपने समय में / गिरधर राठी

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यह एक दौड़ है अंधी दौड़!


रैफ़री न कोई।


न कोई पाबन्दी न लिहाज़ न मुरव्वत;

हर एक है अपने बूते पर--


कोनो-अतरों में अदृश्य आले हैं

तस्वीरें खिंचती हैं दूर-दूर जाती हैं

दम फूलता है तो होती है गुंजार

कोई लड़खड़ाए तो फूटती है किलकार


यह एक दौड़ है, अंधी दौड़

दौड़ता है कौन-कौन साथ यह पता नहीं

दौड़ना कहाँ तक है यह भी पता नहीं