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ज़माना ख़ुदा को खु़दा जानता है / यगाना चंगेज़ी

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ज़माना खु़दा को ख़ुदा जानता है। \ यही जानता है तो क्या जानता है॥


वो क्यों सर खपाए तेरी जुस्तजू में।

जो अंजामे-फ़िक्रेरसा जानता है॥

ख़ुदा ऐसे बंदों से क्यों फिर न जाए।

जो बैठा हुआ माँगना जानता है॥


वो क्यों फूल तोड़े वो क्यों फूल सूँघे?

जो दिल का दुखाना बुरा जानता है॥