भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन-कथा / विमल कुमार

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:54, 20 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमल कुमार |संग्रह=यह मुखौटा किसका है / विमल कुम...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने एक बड़े आअमी की ख़ुशामद की
जल्दी ही मिल गई मुझे नौकरी

मुझे एक लड़की से लाखॊं फ़ायदे थे
मैंने झटपट कर डाली शादी

मैं चाहता था बनना
एक अफ़सर का बाप
तीन-चार बच्चे हो गए

शौक था मुझे सैर-सपाटों का
खरीद डाला मैंने एक स्कूटर

मौक़ा मिला और मैंने एक लम्बा हाथ मारा
फिर क्या एक बंगला बना न्यारा