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नदी में हाथी / विमल कुमार

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ठीक सूर्यास्त के वक़्त
नदी में पानी बहुत कम है
और उसमें खड़ा है हाथी
दूर पुराने पुल पर खड़े होकर उसे देखो
क्योंकि कोई नहीं देख रहा है उसे इस शहर में
देखो, एक तरफ़ शोर है, दूसरी तरफ़ धुआँ
उधर मस्जिद भी थो़ड़ी झुकी है हवा में

और वह चुपचाप खड़ा है हवा के बीच
सूंड़ डुबाए

अंधेरा होने से पहले
उसके टेढ़े दाँत देख लो
यही हैं जो चमक रहे हैं
सप्तऋषि तारों की तरह वर्षों से