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घर से आसमान तक / विमल कुमार

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मेरी बेटी झूला झूलते-झूलते
एक दिन आसमान को छू आई
चांद से बातें कर लीं
तारों से दोस्ती

हम सबको यह बहुत अच्छा लगा
हमने खिड़की से एखा
अब वह रोज़ बादलों के उधर से
आ रही है
जा रही है
घर से आसमान तक का रास्ता बना रही है