भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुक्त आत्मा / हो ची मिन्ह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:02, 24 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हो ची मिन्ह |संग्रह= }} <poem> तन है कारागार में किन्त...)
तन है कारागार में
किन्तु आत्मा तुम्हारी
कदापि नहीं
प्राप्त करने को महान् लक्ष्य
उठने दो ऊँचा
अपनी अन्तरात्मा को
ऊँचे से ऊँचा