भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नैना निपट बंकट छबि अटके / मीराबाई

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:45, 30 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} Category:पद <poeM>नैना निपट बंकट छबि अटके। दे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नैना निपट बंकट छबि अटके।

देखत रूप मदनमोहन को, पियत पियूख न मटके।

बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥

टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके।

'मीरा प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के॥