Last modified on 30 जुलाई 2009, at 23:15

राम से अल्ला भिड़ा रस्ता दिखा / प्रेम भारद्वाज

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:15, 30 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem> राम से अल्ला भिड़ा रस्ता दिखा कटघरे में है ख़ुदा रस्ता दिखा खे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राम से अल्ला भिड़ा रस्ता दिखा
कटघरे में है ख़ुदा रस्ता दिखा

खेल खुलकर खेलती हिंसा यहाँ
मिट गई शर्मो हया रस्ता दिखा

बेसहारा द्रौपदी है दाँव पर
और गुम सारी सभा रस्ता दिखा

माँगता था खैर जो सबकी कबीर
पंथ बन कर रह गया रस्ता दिखा

आँख से देखा हुआ सच झूठ है
काग़ज़ी सब फैसला रस्ता दिखा

लड़ गए सतबीर अफज़ल प्रेम सब
राम औलिया रस्ता दिखा