Last modified on 31 जुलाई 2009, at 17:36

भक्ति-गंगा / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:36, 31 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल }} नहीं यदि तू भी दया करेगा तो फि...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


नहीं यदि तू भी दया करेगा

तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा!


काम-क्रोध-मद-लोभ-मोह हैं प्रतिपद घेरा डाले

मुझको भटकाने के तूने कितने मार्ग निकाले

सहज स्वभाव यही शिशु का तो, तिरछे पाँव धरेगा


इन्द्र-कुबेर-मरुत-पावक-जल तेरे जड़ अनुचर हैं

भले-बुरे के ज्ञान-रहित, नियमों के पालक भर हैं

इनका बस चलते तो कोई पापी नहीं तरेगा


तेरी क्षमा बड़ी है मेरे कर्मों के बंधन से

शाप-ताप सब धुल जायेंगे अश्रु-सजल आनन से

जब तू मेरा क्रंदन सुनकर धरती पर उतरेगा


नहीं यदि तू भी दया करेगा

तो फिर इस जलते जीवन की पीड़ा कौन हरेगा!