Last modified on 5 अगस्त 2009, at 06:57

अन्ध नगर है चौपट राजा / प्रेम भारद्वाज

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:57, 5 अगस्त 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अन्ध नगर है चौपट राजा
सेर टके में भाजी खाजा

राम; अयोध्या सीता वन में
सिंहासन की है मर्यादा

भाग-दौड़ दिन भर की है तो
बिगुल रात भर का भी बाजा

जिसे बिठाए बौना लगता
राजपाट भी क्या है साजा

पाँव बचाकर चलना भाई
चौराहे पर है सतनाज़ा

इम्तिहान में प्रेम है पिसता
एक खबर है हरदम ताज़ा

कड़ी शीर्षक