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अन्ध नगर है चौपट राजा / प्रेम भारद्वाज
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अन्ध नगर है चौपट राजा
सेर टके में भाजी खाजा
राम; अयोध्या सीता वन में
सिंहासन की है मर्यादा
भाग-दौड़ दिन भर की है तो
बिगुल रात भर का भी बाजा
जिसे बिठाए बौना लगता
राजपाट भी क्या है साजा
पाँव बचाकर चलना भाई
चौराहे पर है सतनाज़ा
इम्तिहान में प्रेम है पिसता
एक खबर है हरदम ताज़ा