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भागी बहुत बेचारी मछली / प्रेम भारद्वाज
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भागी बहुत बेचारी नछली
हाँफ गई तो हारी नछली
डाला काँटा बाँधा पानी
कितनी चालों मारी मछली
भव सागर के बड़े मच्छों ने
छोटी जान डकारी मछली
गाँव शहर फिरते मछुआरे
फिरती मारी-मारी मछली
भक्रों के लालच के आगे
हारी स्वर्णिम प्यारी मछली
प्रेम कहानी दुष्यंतों की
याद दिला दे सारी मछली