Last modified on 23 सितम्बर 2006, at 06:44

तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! / महादेवी वर्मा

Mahashakti (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 06:44, 23 सितम्बर 2006 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लेखिका: महादेवी वर्मा

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~


तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या

तारक में छवि, प्राणों में स्मृति

पलकों में नीरव पद की गति

लघु उर में पुलकों की संस्कृति

भर लाई हूँ तेरी चंचल

और करूँ जग में संचय क्या?


तेरा मुख सहास अरूणोदय

परछाई रजनी विषादमय

वह जागृति वह नींद स्वप्नमय,

खेल खेल थक थक सोने दे

मैं समझूँगी सृष्टि प्रलय क्या?


तेरा अधर विचुंबित प्याला

तेरी ही विस्मत मिश्रित हाला

तेरा ही मानस मधुशाला

फिर पूछूँ क्या मेरे साकी

देते हो मधुमय विषमय क्या?

चित्रित तू मैं हूँ रेखा क्रम,

मधुर राग तू मैं स्वर संगम

तू असीम मैं सीमा का भ्रम

काया-छाया में रहस्यमय

प्रेयसी प्रियतम का अभिनय क्या?

तुम मुझमें प्रिय फिर परिचय क्या?