नाद स्वाद तन बाद तज्यो मृग है मन मोहत।
परयो जाल जल मीन लीन रसना रस सोहत।
भृंग नासिका बास केतकी कंटक छीनो।
दीपक ज्योति पतंग रूप रस नयनन्ह दीनो।
नाद स्वाद तन बाद तज्यो मृग है मन मोहत।
परयो जाल जल मीन लीन रसना रस सोहत।
भृंग नासिका बास केतकी कंटक छीनो।
दीपक ज्योति पतंग रूप रस नयनन्ह दीनो।