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तोहिं डगर चलत का भयोरी बीर / नारायण स्वामी
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तोहिं डगर चलत का भयोरी बीर,
कं पग की पायल कं सिर को चीर,
भई बावरी न कुछ सुध बुध शरीर॥
तेरे मतवारन सम झूमत नयन,
मुख भाषत है तू अति विरह के बयन
मानो घायल का ने कीन्हीं दृगन तीर॥