Last modified on 7 अगस्त 2009, at 20:27

अज्ञात देश से आना / भगवतीचरण वर्मा

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:27, 7 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भगवतीचरण वर्मा }} <poem> अज्ञात देश से आना, अज्ञात दे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अज्ञात देश से आना,
अज्ञात देश को जाना,
अज्ञात अरे क्या इतनी
है हम सब की परिभाषा ?

पल-भर परिचित वन-उपवन,
परिचित है जग का प्रति कन,
फिर पल में वहीं अपरिचित
हम-तुम, सुख-सुषमा, जीवन ।

है क्या रहस्य बनने में ?
है कौन सत्य मिटने में ?
मेरे प्रकाश दिखला दो
मेरा भूला अपनापन ।