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बोलि हारे कोकिल, बुलाई हारे केकीगन / द्विज
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बोलि हारे कोकिल, बुलाई हारे केकीगन,
सिखैं हारीं सखी सब जुगति नई नई॥
द्विजदेव की सौं लाज बैरिन कुसंग इन,
अंगन ही आपने, अनीति इतनी ठई॥
हाय इन कुंजन तें, पलटि पधारे स्याम,
देखन न पाई, वह मूरति सुधामई॥
आवन समै में दुखदाइनि भई री लाज,
चलन समै में चल पलन दगा दई॥