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पराजय / नंदकिशोर आचार्य

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पराजय है प्रकाश की छाया
घेरे है जो मुझको
लेकिन भेद नहीं पाया

कहीं यह मेरी ही तो नहीं-
ख़ुद को पारदर्शी जो
बना नहीं पाया।