भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वाकया तूर का / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:05, 13 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)
वाकया तूर का जब
गुज़र चुका मुझ पर-
क्यों यह निरन्तर भटकाव?
पनाह अपनी धरती में
कब दोगी
मुझको!