Last modified on 15 अगस्त 2009, at 15:25

वह होते रहते हैं / नंदकिशोर आचार्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:25, 15 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब मैं कहता हूँ तुम्हें
तुम वह कैसे हो जाती हो

वह हो जाता हूँ मैं
जब तुमसे कहा जाता हूँ

इस तरह
वह होते रहते हैं
हम
सदा उसको ही कहते हैं।