Last modified on 16 अगस्त 2009, at 12:56

लहरों की बात / नंदकिशोर आचार्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:56, 16 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

केवल आँख में ही नहीं होता जल
स्वर-ताल भी देखो
कैसे जल-तरंग-सी
लहरिया जाती है आधी रात

सुखा कर लहरों की चादर को
फैला देती बहती हवा
सवेरे दिखता है
फिर वही रेगिस्तान
संजोए छाती में
अपनी लहरों की बात।