भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अभी / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:14, 20 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=फिर भी कुछ रह जा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ शब्द लिखे जाएंगे अभी
कुछ बच्चे पैदा होंगे अभी

कुछ सपने नींद में नहीं आए अभी
कुछ प्रेम कथाएँ शुरू नहीं हुईं अभी

कुछ रंग फूलों में नहीं उभरे अभी
कुछ किरणें धरती पर नहीं पहुँची अभी

असंभव नहीं कि रह जाए वही
जो नहीं है अभी।