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आखर अनन्त / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

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मैंने नहीं छोड़े
तानाशाह के जन्मदिन पर पटाखे
मुझे सन्तोष है

मुझे सन्तोष है
मैंने सपने देखे
जो पूरे नहीं हुए

मैंने प्रेम किए इकतरफ़े
मुझे सन्तोष है

मुझे सन्तोष है
मैंने चुराए कुछ अमर बीज
और छींट दिए काग़ज़ पर
आखर अनन्त ।