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एक किरण आई छाई / सोहनलाल द्विवेदी
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एक किरण आई छाई,
दुनिया में ज्योति निराली
रंगी सुनहरे रंग में
पत्ती-पत्ती डाली डाली
एक किरण आई लाई,
पूरब में सुखद सवेरा
हुई दिशाएं लाल
लाल हो गया धरा का घेरा
एक किरण आई हंस-हंसकर
फूल लगे मुस्काने
बही सुंगंधित पवन
गा रहे भौरें मीठे गाने
एक किरण बन तुम भी
फैला दो दुनिया में जीवन
चमक उठे सुन्दर प्रकाश से
इस धरती का कण कण