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आदतन तुम ने कर दिये वादे / गुलज़ार

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रचनाकार: गुलज़ार

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आदतन तुम ने कर िदये वादे
आदतन हम ने ऐतबार िकया

तेरी राहों में हर बार रुक कर
हम ने अपना ही इन्तज़ार िकया

अब ना माँगेंगे िजन्दगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार िकया