भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती / ख़ुमार बाराबंकवी
Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:04, 30 अगस्त 2009 का अवतरण (तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती / खुमार बाराबंकवी का नाम बदलकर तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनत)
तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती
एक ख़्वाब सा देखा है ताबीर नहीं बनती
बेदर्द मुहब्बत का इतना-सा है अफ़साना
नज़रों से मिली नज़रें मैं हो गया दीवाना
अब दिल के बहलने की तदबीर नहीं बनती
दम भर के लिए मेरी दुनिया में चले आओ
तरसी हुई आँखों को फिर शक्ल दिखा जाओ
मुझसे तो मेरी बिगड़ी तक़दीर नहीं बनती