भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अभी-अभी / सुदर्शन वशिष्ठ
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:58, 1 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ |संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ }} <...)
अभी अभी जो चला था झण्डा उठाए
पसीने से लतपथ
बैठ गया कुर्सी पर अभी अभी
अभी अभी जो कर रहा था बात
मजदूर किसान की
बन गया सौदागर अभी अभी।
अभी कह रहा था बहुत अच्छा!
खारिज कर गया पूरा लेखन अभी अभी!
अभी अभी जो चला था सिर छिपाए
टोपी बदल गया अभी अभी।
हँसता खेलता दौड़ रहा था अभी अभी
हार कर बैठ गया अभी अभी।
अरे! वह तो
ज़िन्दा था अभी अभी
मुझ से बात की
अभी अभी।