करमा / हर करम अपना करेंगे
ऐ मुहब्बत -२ ओय ओय -२ ऐ मुहब्बत तेरी दास्तां के लिए मैं हूँ तैयार हर इम्तेहां के लिए जान बुलबुल की है गुलिस्तां के लिए ऐ मुहब्बत तेरी दास्तां के...
इक शोला हूँ मैं इक बिजली हूँ मैं आग रखकर हथेली पे निकली हूँ मैं दुश्मनों के हर एक आशियाँ के लिए जान बुलबुल की है ...
ये ज़माना अभी मुझको जाना नहीं सिर कटाना है पर सिर झुकाना नहीं मुझको मरना है अपने हिन्दुस्तां के लिए जान बुलबुल की है ...
हर करम अपना करेंगे -२ ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू तेरा सब कुछ मैं मेरा सब कुछ तू हर करम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
और कोई भी कसम कोई भी वादा कुछ नहीं एक बस तेरी मोहब्बत से ज्यादा कुछ नहीं कुछ नहीं हम जियेंगे और मरेंगे ऐ सनम तेरे लिए
सबसे पहले तू है तेरे बाद हर एक नाम है तू मेरा आग़ाज़ था तू ही मेरा अन्जाम है अन्जाम है हम जियेंगे और मरेंगे ऐ सनम तेरे लिए दिल दिया है जां भी ...
मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू तेरा सब कुछ मैं मेरा सब कुछ तू
हर करम अपना करेंगे -२ ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
तू मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू मेरा अभिमान है ऐ वतन महबूब मेरे तुझपे दिल क़ुर्बान है हम जियेंगे या मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए दिल दिया है जां भी देंगे ...
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हमवतन हमनाम हैं जो करे इनको जुदा मज़हब नहीं इल्जाम है हम जियेंगे या मरेंगे ...
तेरी गलियों में चलाकर नफ़रतों की गोलियां लूटते हैं सब लुटेरे दुल्हनों की डोलियां लुट रहा है आंप वो अपने घरों को लूट कर खेलते हैं बेखबर अपने लहू से होलियां हम जियेंगे या मरेंगे ...