भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह कैसे कहेगी / अशोक वाजपेयी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:01, 5 सितम्बर 2009 का अवतरण
वह कैसे कहेगी – हाँ!
हाँ कहेंगे
उसके अनुरक्त नेत्र
उसके उदग्र-उत्सुक कुचाग्र
उसकी देह की चकित धूप
उसके आर्द्र अधर
कहेंगे – हाँ
वह कैसे कहेगी – हाँ ?
रचनाकाल :1990