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तानाशाह / अरविन्द श्रीवास्तव
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सुनता है तानाशाह
टैंकों की गड़गड़ाहट में
संगीत की धुन
फेफड़े को तरोताज़ा कर जाती है
बारुदी धुएँ की गंध
उसके लिए नींद लाती है
धमाकों की आवाज़
तानाशाह खाता है
गाता है
और मुस्कुराता है
तानाशाह जब मुस्कुराता है
लोग जुट जाते है
मानचित्रों पर
किसी तिब्बत की तलाश में !