ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी।
बदल-बदल के लिबास अपने इनक़लाब आया॥
सिवाय यास न कुछ गुम्बदे-फ़लक से मिला।
सदा भी दी तो पलटकर वही जवाब आया॥
ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी।
बदल-बदल के लिबास अपने इनक़लाब आया॥
सिवाय यास न कुछ गुम्बदे-फ़लक से मिला।
सदा भी दी तो पलटकर वही जवाब आया॥