Last modified on 9 सितम्बर 2009, at 22:43

ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी / साक़िब लखनवी

चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:43, 9 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=साक़िब लखनवी }} <poem> ज़मानेवालों को पहचानने दिया ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी।
बदल-बदल के लिबास अपने इनक़लाब आया॥

सिवाय यास न कुछ गुम्बदे-फ़लक से मिला।
सदा भी दी तो पलटकर वही जवाब आया॥