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फागुन के दोहे / पूर्णिमा वर्मन

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ऎसी दौडी़ फ़गुनाहट ढ़ाणी चौक फलाँग
फागुन आया खेत में गये पडो़सी जान

आम बौराया आँगना कोयल चढ़ी अटार
चंग द्वार दे दादर मौसम हुआ बहार