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तकदीर का फसाना जाकर किसे सुनाएं / हसरत जयपुरी

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तक़दीर का फसाना जाकर किसे सुनाएँ
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएँ ।।

सांसों में आज मेरे तूफ़ान उठ रहे हैं
शहनाईयों से कह दो कहीं और जाकर गायें
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएँ ।।

मतवाले चाँद सूरज, तेरा उठायें डोला
तुझको खुशी की परियां घर तेरे लेके जाएँ
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएँ ।।

तुम तो रहो सलामत, सेहरा तुम्हें मुबारक
मेरा हरेक आँसू देने लगा दुआएँ
इस दिल में जल रही हैं अरमान की चिताएँ ।।