Last modified on 14 सितम्बर 2009, at 13:38

उनकी महफ़िल में एक उनके सिवा / परमानन्द शर्मा 'शरर'

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:38, 14 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमानन्द शर्मा 'शरर' |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem> उनक...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उनकी महफ़िल में एक उनके सिवा
मुझको हर इक ने ग़ौर से देखा

आज क्यों पूछते हो हाल मेरा
आपने कल कुछ और से देखा

मुझपे उठ्ठी निगह ज़माने की
आपने जब भी ग़ौर से देखा

क्या कहूँ मुझको दुनिया वालों ने
कैसे ढब कैसे तौर से देखा

मैंने अपनों को और ग़ैरों को
इक नज़र एक तौर से देखा

दौरे-हाज़र में दोस्तों को भी
मैंने कुछ और-और से देखा

जानते हो ‘शरर’ को हमसफ़रो
क्या कभी उसको ग़ौर से देखा?