Last modified on 15 सितम्बर 2009, at 18:57

लघु प्राण दीप / राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर'

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:57, 15 सितम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बनकर अभीत हुँकर उठे
लघु प्राण दीप ललकार उठे

सूरज ने शस्त्र झुकाए हैं
सारे नक्षत्र मुरझाए हैं
निष्प्रभ शशि हुआ निराश परम
हर ओर अँधेरे साए हैं
बन ज्योतिपुंज साकार उठे

आतंकमढ़ी हों सुबह शाम
बस रावण गरजे अष्ट याम
ऋषि–प्रज्ञा भी आहार बने
पर जीतेंगे हर बार राम
जय जय जग मुग्ध पुकार उठे

तम के पर्वत को गलने दो
इस ज्योतिपर्व को चलने दो
विश्वास रखो हारेगा तम
साँसों का दीपक जलने दो
बस स्नेह सजल साकार उठे